तू कैसे समझ लेती थी मुझे माँ ?

तू कैसे समझ लेती थी मुझे माँ ? – A hindi poetry about the emotions of a new born child for his/her mother. To listen this poem, click this link – https://www.youtube.com/watch?v=HuXdI3HiKZM

सबसे पहले यही शब्द बोला था मैंने…माँ,

क्यूंकि और कुछ दिखता ही नहीं था तेरे सिवा,

दुनिया और कुछ थी ही नहीं तेरे बिना।

.

तू इधर उधर हो जाती,

तो लगता था अकेला हो गया हूँ,

उस समय तो भीड़ को जनता भी नहीं था,

फिर भी लगता था की कहाँ खो गया हूँ।

.

दो पल के अंदर तेरी दुनिया हिला देता था रो रो के,

और कुछ आता भी तो नहीं था ना मुझे,

कोशिश तो करता था बात करने की,

पर तेरे सिवा कोई समझता ही नहीं था।

तू कैसे समझ लेती थी मुझे ?

.

जब सपनों में होता था,

तो भी चैन से इसलिए सोता था ,

क्यूंकि तेरी ऊँगली होती थी मेरे हाथो में ,

और तेरी लोरी की आवाज़ मेरे कानों में ।

.

जब जब तूने हाथ छोड़ा,

ना जाने मेरे कितने नादान सपनों को बीच में तोडा,

लेकिन तेरे पास और काम भी तो थे,

फर्क सिर्फ इतना था की मेरे एलावा तेरी दुनिया और भी थी,

पर मेरी दुनिया तो सिर्फ तू ही थी।

.

कितनी बार तुझे परेशान किया,

तू दौड़े दौड़े चली आती थी जब भी मै रोया,

तू ये जादू कैसे कर लेती थी?

बिना सोए इतने दिनों तक तू कैसे रह लेती थी?

बिना चिढ़े, बिना गुस्साए,

तू मेरी हर ज़िद कैसे सेह लेती थी?

.

मुझे तो डर लगता था,

जब जब तू गरम दूध अपने हाथ पे गिराती थी,

तू जादूगर ही है,

जो उस समय भी मुझे देख कर मुस्कुराती थी।

.

मुस्कुरा उठता था जब तेरी खुशबू आती थी तो,

जब बहुत देर तक पता नहीं किसकी किसकी गोदी से गुज़रना पड़ता था।

बहुत कोशिश करता था तेरे पास वापिस आने की,

किसी को गीला करना पड़ता था तो किसी से लड़ना झगड़ना पड़ता था।

.

जब आता था तेरी गोदी में,

तो फिर वही खुशबू,

वही लोरी की आवाज़,

वही तेरी ऊँगली मेरे हाथोँ में,

पता नहीं चलता था कब मेरे सपने शुरू हो जाते थे बातों बातों मेँ।


सभी माताओं को समर्पित

– वेदाँत खंडेलवाल

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9 Responses

  1. priyanka khandelwal says:

    Again!!! Rula diya teri writing ne… Wat a writer,poet u r!!! Amazing… super awesome…. U r a perfect son, brother,darling,mentor and human being… God bless u!!

  2. Neha khandelwal says:

    Full of emotions …….speechless

  3. Monika khandelwal says:

    Really very nice and heart touching poem…superb bhaiya…😊😊

  4. Padma Shukla says:

    A very realistic poem..
    Well written and resonates with true emotions..
    Happy to read another genuine talent..
    Keep it up..

  5. worpomy says:

    purchase cialis online Now, hopefully we get the rest of the guys and we make a run

  6. envexisse says:

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