Hostel Ke Din / हॉस्टल के दिन

hostel life

A poetry on hostel ( हॉस्टल ) life. It has taught me a lot, and I wanted to share a part of it with all of you…

Read it below or watch the video – https://www.youtube.com/watch?v=NLfRnxDjm1o

हॉस्टल लाइफ नहीं मिस करनी चाहिए यार
जहाँ इतना ज़्यादा मिलता है प्यार
कोई छुपा के रखता है माँ के बनाए लड्डू
या छोटी वाली डिब्बी घी की अलमारी में
तो कोई फ्री में बांटता है अचार

जहाँ पहले ही दिन समझ आ जाता है की
सीनियर्स रैगिंग नहीं इंट्रो लेते हैं
भाई साहब, समझ ही नहीं आता
की कब introvert को extrovert में बदल देते हैं

फिर हर ग्रुप में होता है एक बाबा
जिनको वैसे तो कुछ नहीं आता
लेकिन इनके experience के कारन
इनके जैसी कहानियां कोई नहीं बता पाता

इन सब के बीच
आती है कभी कभी घर वालो की याद
कोई एक ही दिन में तीन बार
तो कोई तीन दिन में एक बार कर लेता है फ़ोन पे बात

किसी को birth date ना पता चले बस अपनी
कोशिश तो यही रहती है सबकी
लेकिन ये सब पता चलता है तब
एक अपना आदमी आलरेडी शहीद हो चूका होता है जब

कहीं बैल्ट, चप्पल, बैट, स्टंप…तो कहीं गंदा पानी
हर birthday की कुछ ऐसेही होती थी कहानी
मैं कुछ भूल रहा हूँ तो वो तुम आलरेडी सोच चुके होगे
अगले दिन बैठने में थोड़ी दिक्कत होती थी,
ये बात सोच के थोड़ा रो तो थोड़ा हस चुके होगे …

हॉस्टल मेस का खाना तो याद है ना ?
आए हाए , वो पापड़ जैसी रोटी और पानी जैसी दाल
बिना आलू के आलू के पराठे , और सब्ज़ी में chef का बाल
I’m sure, आधे लोग की तो भूख menu पढ़ के मर गई होगी,
बाकी आधे लोग का सहारा बनती थी मैगी!!

जितना भी लड़ ले आपस में,
पर कोई दूसरे हॉस्टल का बन्दा कुछ बोल नहीं सकता था
हॉकी… चेन… सारे ड्रामेबाज़ रेडी हो जाते थे,
भले ही end में सब बात करके ही solve होता था

बहुत सीखने को मिलता है हॉस्टल लाइफ में…
किसी को कुछ तो किसी को कुछ…
लेकिन उल्लू सब बन जाते हैं…
रात भर philosopher बन के ना जाने क्या क्या पाठ पढ़ाते हैं…

रात को तीन बजे, डिनर आफ्टर डिनर के बाद…
ये deep-thinkers भी हैं और full-on नौटंकी भी…
ये घर से दूर रह के हो जाते हैं काफी understanding,
पर कभी कभी थोड़े सन्की भी…

छुपा – छुपा के रखना पड़ता था kettle, heater और iron box,
नए ही खरीद लेते हैं, कौन धोता है हॉस्टल में पुराने socks
वार्डन जब -जब आता था चैकिंग करने रूम्स की,
तब -तब बेचारे की तारीफ़ शुरू हो जाती थी गिरा के MCB

ये हॉस्टल किसी को बिगाड़ता या सुधारता नहीं है
ये बस देता है आपको कई सारे मौके और थोड़ी सी आज़ादी
आज़ादी कुछ बड़ा करने की और साथ में ज़िम्मेदार बनने की
तो यार अगर उम्र है अभी तो एक बार ज़रूर हॉस्टल जाना
और फिर यूँही अपनी कहानियां बाकी सब को बताना

-Vedant Khandelwal

Comment below if you liked it, or if you want to share your experiences with all of us! 🙂

Read more of my writings –

Tu Kaise samajh let thi mujhe Maa

Tum bus muskuraati rahaa karo

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