यह कविता साहित्य और विज्ञान के बीच के अंतर को दर्शाती है। कवि कहता है कि साहित्य में एक जादू है जो विज्ञान की सीमाओं को पार कर सकता है। वह कहता है कि साहित्य हमें अपनी यादों में ले जा सकता है, हमें समय में उड़ने की ताकत दे सकता है, और हमारी सोच को बदल सकता है। कवि यह भी कहता है कि साहित्य हमें अपनी रूह को छूने की ताकत देता है।
कविता का मुख्य संदेश यह है कि साहित्य विज्ञान से अलग एक अपनी दुनिया है, जो हमें नई दृष्टिकोण और अनुभव प्रदान कर सकती है।
कविता एक युवक की नौकरी की वास्तविकता को दर्शाती है, जो बड़े फ़र्म में नौकरी करने के सपने देखता है, लेकिन वास्तव में उसे दबाव और लंबे काम के घंटों का सामना करना पड़ता है। वह महसूस करता है कि पैसे के लिए लोग अपनी अकल और जीवन को बेच देते हैं
It's a poetry about a person suffering from cancer, in his last few days, sharing his thoughts and feelings
मैं मिर्ज़ापुर के झरनों से हूँ,तुम बनारस की गलियों से.मैं विंध्य पर्वत का वासी हूं,तुम शिव की पवित्र काशी से। घाटों घाटों में खो जाऊं,गंगा से अक्षर पहुचाऊं,मैं शक्ति का, तुम भोले की,नगरी-नगरी की जोड़ी थी. मैं आधा था, तुम बाकी थी.मैं मिर्ज़ापुर, तुम काशी थी। मैं मिर्ज़ापुर के झरनों से हूँ,तुम बनारस की गलियों […]
Sometimes I feel my beloved is like a home to me, where I feel most comfortable. This poem describes my feelings on this thought.