कभी किसी को देख के लगता है की ये कुछ अलग ही है, इसके अंदर कुछ अलग करने की चाह है। कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी लिखी है इस कविता में।
एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट है। वर्णमाला के क्रम में एक कविता लिखने का। युगों का एक चक्र है। मतलब की कलियुग के बाद फिर से या तो त्रेतायुग या सतयुग आएगा, जब हर चीज़ फिर से बेहतर हो जाएगी। उन्ही दिनों को दिखाया है इस कविता में।
Here's a tribute to all the teachers across the world. Share it with your teachers if you like it!
जब छोटे थे तो,हम सब बड़ा बनना चाहते थे। अब जब बड़े हो गए हैं तो लगता है असली आज़ादी बचपन में ही थी। अब यही पूछता हूँ ख़ुद से की - मुझे बड़ा क्यों होना था?
एक छोटी सी कहानी middle class वालों की। अगर किसी को सच लगे तो भी बताना और अगर किसी को बुरा लगे... सच तो सच ही है न भाई , बुरा मान के क्या कर लोगे! ;-) :P