एक कोशिश… अपनी सोच बदलने की

यहीं था में, आज भी यहीं हूँ।
लेकिन बदल गया है मेरा सोचने का तरीका।
कोशिश करूँगा की इस लेख को पढ़ते पढ़ते,
आपकी सोच भी बदल पाऊं।

सोच क्यों बदलनी है? हमे तो कुछ बड़ा करना है ना।
हमे तो दुनिया बदलनी है।
हमे अपने बच्चे को नंबर 1 पे देखना है।
बचपन से उसपे इतना प्रेशर डालना है जीतने का,
की वो हारने से डर जाए और ज़िन्दगी जीने से भी,
क्यूंकि ज़िन्दगी में तो कभी जीत कभी हार लगी रहती है ना!

सोच क्यों बदलनी है? हमे तो कुछ बड़ा करना है ना।
हमे तो दुनिया बदलनी है।
कुछ अलग नहीं करना है हमे अपनी ज़िन्दगी में,
क्यूंकि अगर सफल नहीं हुए, तो वो 4 लोग क्या कहेंगे?
वो 4 लोग जो कभी किसी के बुरे समय में नज़र नहीं आते।
वो 4 लोग जो केवल इसलिए हमारे बीच हैं क्यूंकि हम उन्हें रहने देते हैं !

सोच क्यों बदलनी है ? हमे तो कुछ बड़ा करना है ना।
हमे तो दुनिया बदलनी है।
हमे तो चाँद पे जाना है, और फिर मंगल पे।
लेकिन चाँद से बच्चे की मंगल-मई शादी नहीं करवा सकते,
क्यूंकि दूसरी जात में “love-marriage” करवाना तो पाप है ना!

शादी तो हमे सबसे अच्छी करवानी है अपनी लाड़ली की।
खाने में कोई कमी नहीं, ना शोर शराबे में।
और आज इस ख़ुशी में वो 4 लोग भी आए हैं।
लेकिन ये क्या… इन्हे कुछ भी अच्छा नहीं लगा।
कोई दूल्हे की, कोई दुल्हन की तो कोई खाने की,
बुराई करने में लगे हैं, इन्हें तो ख़ुशी बांटने के लिए बुलाया था ना!

सोच क्यों बदलनी है? हमे तो कुछ बड़ा करना है ना।
हमे तो दुनिया बदलनी है।
घर के सोफे पे बैठ के TV देखते हुए,
सफाई आंदोलन, सड़क दुर्घटना, हर चीज़ पे टिप्पणी करनी है,
और क्यों ना करें, ये हमारा मानवाधिकार है ना।
लेकिन सारा कचरा रोड पे ही फेकना है, और अगर बगल वाला प्लॉट खाली है तब तो ऐश ही ऐश है।
मोटर साइकिल बिना हेलमेट के और गाड़ी बिना बेल्ट के चलाने का मज़ा ही कुछ और है।

हमे काला धन वापिस लाना है,
लेकिन अगर ट्रैफिक पुलिस पर्ची काट दे,
तो 1000 की जगह 200 से काम चलाना है।

हमे अफ़सोस बहुत होता है,
जब हमारे भाई बंधू के शहर में पानी की कमी हो जाती है।
हम दिल के बहुत अच्छे हैं,
तुरंत paytm पे 100-500 रूपए डोनेट कर के,
whatsapp status लगाते हैं।
लेकिन AC और Water Purifier से निकलते पानी को नहीं बचा पाते हैं!

हमारी खानदानी परंपरा है की,
हम जब तक ब्रश नहीं कर लेते,
नल बंद नहीं करते हैं,
और पानी टंकी में ख़तम हुआ तो क्या हुआ,
पानी की मशीन वापिस चालू कर लेते हैं।
भूमिगत पानी से हमे क्या लेना देना,
हम तो उसपे विश्वास करते हैं जो दिखता है।

सिवाए भगवान के,
जिसे फल दूध कपड़ा सोना पैसा,
ये सब दे सकते हैं।
जिसके पास सब कुछ हैं उसकी पूजा में,
हम लाखों खर्च कर सकते हैं,
क्यूंकि शायद मन नहीं, धन देने से वो सब सही कर दे।

मेरे दोस्त, ये किस्से तो चलते रहेंगे,
लेकिन जो अब नहीं चलेगा वो है आपके सोचने का तरीका।
तो दुनिया को बदलने से पहले, कोशिश करो,
सिर्फ एक कोशिश… अपनी सोच को बदलने की।
वादा करता हूँ जल्द ही दुनिया बदलती नज़र आएगी।

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2 Responses

  1. Megha khandelwal says:

    Very true bhai… Bt i m feeling proud ki mai ac or purifier ka waste water reuse krti hu .. bt shayad baccho ki padhayi ko le kr strict ho jati hu.. or soch thodi change huyi hai, because of our parents… Bhagwan k liye to hm 500 chadhane k liye bhi ek bar bhi nhi sochte, bt kisi needy ko 50 dene me 50 bar sochna pdta hai… Really, soch badlne ka tym aa gya, if we want ki hmare bacche bhi acchi soch k sath bde ho…

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