मैं मिर्ज़ापुर के झरनों से हूँ,तुम बनारस की गलियों से.मैं विंध्य पर्वत का वासी हूं,तुम शिव की पवित्र काशी से। घाटों घाटों में खो जाऊं,गंगा से अक्षर पहुचाऊं,मैं शक्ति का, तुम भोले की,नगरी-नगरी की जोड़ी थी. मैं आधा था, तुम बाकी थी.मैं मिर्ज़ापुर, तुम काशी थी। मैं मिर्ज़ापुर के झरनों से हूँ,तुम बनारस की गलियों […]
भारत वर्ष में और सनातन धर्म में प्रश्न करना कोई गलत बात नहीं है, बल्कि उसे सत्य और ज्ञान की परीक्षा का रूप दिया गया है।
प्रश्न करना गलत नहीं है, गलत है अंध-विश्वास, गलत है ज्ञान ना होना, गलत है बिना प्रश्न के गलत राह पे चलना, क्यूंकि बाकी सब भी वही कर रहे हैं।
इसी विचार से प्रेरित हो के मैंने यह कविता लिखी है। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी।
What all thoughts would cross your mind if you came to know that today is your last day? What would you do?