आज गुरु पूर्णिमा पे , मेरी तरफ से एक छोटी सी हिंदी कविता, जो बताती है की गुरु है समय और समय का महत्व क्या है।
समय का ना ही जन्म हुआ, ना ही कभी अंत होगा,
हम जानते हैं समय को जब से हुई ये दुनिया शुरू,
यही हैं हम सब के सबसे बड़े गुरु.
काफी साल मैंने आराम से गुज़ारे,
फिर मुझे लगा की अब मुझे दौड़ना चाहिए,
पर समय से आगे न निकल पाया,
क्यूंकि मेरी आँखों के आगे माया की थी छाया.
गुरु होता है वो,
जो हर कदम पे होता है आपके साथ,
और समय से अच्छा ये कौन होगा,
जो हर वक़्त साथ चलता है, चाहें दुःख हो या हो सुख की बात।
“ये तो समय ही बताएगा।”
हम यही कहते हैं,
जब किसी को कुछ नहीं समझ आता।
क्यूंकि गुरु के सिवा हर प्रश्न का उत्तर और कोई नहीं बता पाता ।
गुरु आपके लिए काम नहीं करते,
वो बताते हैं आपको की कैसे करना है,
अगर आप कहीं फास जाएं तो।
समय भी यही करता है,
कभी कभी ठोकर खाने के बाद ही,
आपको बतलाता है की अब आगे कैसे बढ़ना है।
समय सिखाता है की भूत से सीखो ,
वर्तमान में जियो,
और भविष्य के लिए तैयार रहो।
ये भूत, भविष्य, वर्तमान सब इस गुरु के ही रूप हैं।
एक से सीखना है, एक के साथ जीना है,
और चिंता नहीं करनी है, क्यूंकि एक गुरु (भविष्य ) हमारे साथ होगा हमेशा !
ज़रुरत हैं आज से ही समय को अपना गुरु मानने की ।
अगर इस का महत्त्व समझ गए तो और कुछ ज़रूरत नहीं है जानने की !
अँगरेज़ कहते हैं ,
टाइम इस मनी।
लेकिन हम कहेंगे,
गुरु है समय, क्यूंकि गुरु ही है ज्ञान का सबसे बड़ा धनि।
तो अब समझो और लोगो को समझाओ,
की ना करें समय को व्यर्थ ,
और जितना सदुपयोग कर सकें उतना भला ,
यही है इसका अर्थ।
-वेदांत खंडेलवाल
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