Middle Class वाले

एक छोटी सी कहानी middle class वालों की। अगर किसी को सच लगे तो भी बताना और अगर किसी को बुरा लगे… सच तो सच ही है न भाई , बुरा मान के क्या कर लोगे! 😉 😛

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं.
ये लाइन पूरी तरह से middle class पे सेट होती है।

हम वो हैं, जिनके पास lower class की गरीबी है, और high class के सपने।
और हम इन सपनो के पीछे इस तरह भागते हैं,
की पूरी ज़िन्दगी भागने में चली जाती है।

अरे हम middle class लोग हैं भाई!

हम ही हैं जिनके लिए first copies बनाई जाती हैं।
हम ही हैं जिनके लिए बैंक ने मोबाइल के लिए भी लोन की सेवा उपलब्ध कराइ है।

First class वाले तो बस बदनाम हैं बेचारे , असली दिखावा तो हम करते हैं ।

हम ही हैं जो cab की जगह metro से आते हैं की कुछ पैसे बच जाएं ,
लेकिन फिर अगर किसी colleague या friend ने party मांग ली , तो साड़ी savings निकल लेते हैं क्यूंकि हम मना नहीं कर पाते।

नहीं नहीं … हमारा दिल उतना बड़ा नहीं हैं,
बस हम किसी को बताना नहीं चाहते की हमारे पास पैसे नहीं हैं।

गरीब तो बस बदनाम हैं बेचारे,
असली गरीबी तो middle class वाले एक बार ज़रूर देखते हैं।

क्यूंकि आदत होती है हमारी, अपनी चादर के बहार पैर पसारने की,
अपनी आमदनी से ज़ादा खर्च करने के।

क्यूंकि हमे ना, एक चीज़ से सबसे ज़ादा दर लगता है।
वो वही है, जो हमारा सबसे सच्चा दोस्त भी है , और सबसे बड़ा दुश्मन भी,
वो है भाई समाज।

और मज़े की बात पता है … समाज में भी सब हम जैसे ही हैं।
किसी के घर कुछ प्रॉब्लम , तो किसी के घर कुछ।
लेकिन हम सब दिखाना चाहते हैं की हमारी फैमिली बेस्ट है ,
हमे बस चिपकाना अत है , accept करना नहीं।

हम सब एक बेहतर ज़िन्दगी जी सकते हैं ,
अगर इस समाज और शर्म का सूट उतार कर ,
practicality का पजामा पेहेन लें ।

हाँ हाँ मुझे पता है,
की समाज में रहना है तो समाज के उसूलों के साथ रहना होता है,
पर अगर समाज को अपना मानते हैं,
और समाज हमे अपना मानता है,
तो छुपाना और झूट क्यों?


क्यों किसी को दिखाने के लिए लोन पे घर और गाड़ी लेनी है?
क्यों किसी को दिखाने के लिए उधार ले के आलिशान शादी करवानी है?
क्यों हम जैसे हैं , वैसे नहीं जी सकते?
क्यों?

क्यूंकि हम middle class लोग हैं भाई !
हम वो हैं , जिनके पास lower class की गरीबी है , और high class के सपने .

Lots of positivity,
Vedant Khandelwal

Read my other poetries:
http://www.vedantkhandelwal.in/main-nahi-to-kuch-nahi/
http://www.vedantkhandelwal.in/why-live-only-once/

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