तू कैसे समझ लेती थी मुझे? माँ और बच्चे के प्रेम पे हिंदी कविता। एक छोटा बच्चा किस तरह से अपनी और अपनी माँ की कहानी बयान करता है।
कभी मजबूरी तो कभी ज़रुरत। हम में से बहुत से लोगों को घर छोड़ के बहार रहना पड़ा। कुछ पंक्तियाँ हैं उसी अनुभव के बारे में - घर से निकलते ही
एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट है। वर्णमाला के क्रम में एक कविता लिखने का। युगों का एक चक्र है। मतलब की कलियुग के बाद फिर से या तो त्रेतायुग या सतयुग आएगा, जब हर चीज़ फिर से बेहतर हो जाएगी। उन्ही दिनों को दिखाया है इस कविता में।
एक छोटा सा प्रयास है और लोगों तक शिव तांडव स्तोत्रम पहुंचाने का। मैंने सोचा की क्यों न इसका हिंदी अनुवाद किया जाए एक कविता के रूप में।
दुनिया को बदलने से पहले, कोशिश करो,सिर्फ एक कोशिश… अपनी सोच को बदलने की।वादा करता हूँ जल्द ही दुनिया बदलती नज़र आएगी।