एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट है। वर्णमाला के क्रम में एक कविता लिखने का।
युगों का एक चक्र है। मतलब की कलियुग के बाद फिर से या तो त्रेतायुग या सतयुग आएगा, जब हर चीज़ फिर से बेहतर हो जाएगी। उन्ही दिनों को दिखाया है इस कविता में।
कलम से लिखी थी किताबी कहानी, की
ख़ुशी, ख़्वाब, ख़्वाहिशें खूब होगी यहाँ, खबरें ना होंगी
गुमसुम सी, ग़म या गुनाहों की।
घर में रहे या फिर घनी घाटियों के घेरे में,
चांदनी रात में, या चमकते सवेरे में, चोरी ना होगी फिर।
छलावे से ना कोई छाप के छुपाएगा ना ज़रूरत पड़ेगी छापेमारी की।
जंग ना होगी, ना लड़ेंगे जहाज़, इंसान रहेंगे अपने जिले में,
जानवर करेंगे फिर से जंगल राज।
झुण्ड में ना आएँगे वो झक्की झगड़ने,
टिकटोक पे टकटकी टिकाए ना बैठेगा कोई।
ठहर के कुछ पल, ठहाका मार सकेंगे दोस्त फिर से,
डकैती, ड्रग्स और डर रहेंगे दूर हमारी डगर से,
ढोंगी और ढक्कन हो जाएंगे दूर नज़र से।
तकरार नहीं तकरीर होगी। तोप नहीं, चलेगा तर्क।
थोड़ी देर थाम के बैठो, थकना मत, आएगा वो दिन जब दिखेगा फर्क।
दाग ना लगाएगा कोई, ना होंगे दगाबाज़,
दवा और दारु नहीं, वापिस आएगा दलियाऔर दाल।
धड़कन की कीमत फिर होगी धक्कामुक्की से ज़्यादा,
नेट का नशा उतरेगा, चेहरे दिखेंगे नकाब नहीं।
पानी पिलाएंगे सब पशु पक्षियों को फिर से,
फल बाटेंगे लोग फिर, फटकार नहीं।
बिरादरी के नाम पे ना होगी बकवास,
बढ़ा चढ़ा के बतंगड़ ना बनाएँगे टीवी के बदमाश।
भाईचारा और भक्ति की भावना भिड़ेगी,
मंत्री मतलबी और मंदबुद्धि ना होंगे,
यम का डर नहीं, योग की लोकप्रियता बढ़ेगी।
रावण को ना पूजेंगे सब मान के रणधीर,
रामराज आएगा फिर से , आएँगे रघुवीर।
लालची, लड़ाई और लफड़ा करने वालो का आएगा काल,
लाचार का लाभ ना उठाएगा कोई माई का लाल।
वर्दी वाले और वकील होंगे सारे वफादार।
शिकायती और शराबी ना होंगे शादीयों में शामिल,
शांत, शरीफ और शीतल लोग ही रहेंगे सदाबहार।
षड़यंत्र ना करेगा कोई , ना होंगे षड्यंत्रकारी।
सख्ती से समस्याएं दूर कर, सरकार भी होगी संस्कारी।
हकदार को मिलेगा उसका हक़, हताशा से ना होगी हत्या ,
क्षमा कर देंगे अपने आप को, ना खुद को पहुचाएंगे क्षति।
त्रिताप होंगे दूर, ना होगी कोई त्रासदी।
ज्ञाप ये, ज्ञापित करता है आपको,
की ज्ञान ही ज्ञाता बनाएगा हम सबको।
आशा करता हूँ आपको पसंद आया होगा। – वेदांत खंडेलवाल
Read more posts – http://www.vedantkhandelwal.in/blog/
Watch my videos – https://www.youtube.com/channel/UCICAu6HCDji6mxiuqx71fkg?
2 Responses
O my god!!!!! Speechless… Kya dimag… Sath me superb thought… Dimag hil gya pura mera to… Kitna sinder sajaya hai poetry ko…. Tooooo gud… Mind-blowing
Thank you so much! 🙂