हम हमेशा से कहानियां सुनते हैं भगवान की। कभी शिव जी, कभी राम जी, तो कभी कृष्ण जी की तो कभी किसी और की। और हर किसी को कोई ना कोई एक इनमे से सबसे बड़े लगते हैं।
मैंने अपने सीमित ज्ञान से एक कविता लिखी है। अगर कुछ बुरा लगे तो माफ़ करना और अच्छा लगे तो और लोगों को भी पढ़ाना।
किसी ने पूछा …
ब्रह्मा विष्णु महेश बड़े ?
या कृष्ण बड़े या राम बड़े ?
मैंने बोला…
हम तो इतने बड़े नहीं ,
की नाप सके की कौन बड़े।
युगो युगो का खेल है इनका ,
हर युग में ये आते हैं ,
और आ के कुछ सिखलाते हैं।
जब ना हो इस धरती पे ये सब ,
तब एक ही हो जाते हैं।
गर कृष्ण , राम या शिव बड़े,
तो समझो की जब एक ये हो जाते हैं,
महासागर से हो जाते हैं।
यहाँ मैं ये बतलाना चाह रहा हूँ की ये सब एक ही हैं। सब अलग अलग रूप ले के कुछ नया दिखलाते और सिखलाते हैं। पर जब ये एक हो जाते हैं तो यह ब्रह्माण्ड भी विशाल समुद्र में बूँद जैसा हो जाता है।
ना अदि है ना अंत इनका ,
तो कैसे बोलूं की कौन बड़े ?
बस सीखो इनकी सिख को ,
क्यों तुम इनको नापते हो ?
उनके लिए तो हम सब हैं एक से,
क्या तुम ये नहीं जानते हो ?
जब हम सब इतने अलग हो के भी उनकी नज़र मे एक सामान हैं। तो हम कैसे उन्हें छोटा बड़ा केह सकते हैं?
आदियोगी से योग सीखो ,
सियाराम से अनुशासन ,
श्री कृष्ण से सीखो धर्म – ज्ञान ,
जीवन होगा अति पावन।
ये सब बस एक बूँद हैं प्यारे,
सीखों के सागर में ,
अभी इतना भी प्रकाश काफी है ,
हमारे अंधकार गागर में।
ऊपर लिखे योग, अनुशासन,और धर्म-ज्ञान सिर्फ उदाहरण हैं। इसी तरह के अनगिनत ज्ञान दिए हैं हर अवतार ने। लेकिन अगर हम कुछ एक – दो चीज़ें भी सिख लें , तो हमारी जीवन मे बहुत बड़े बदलाव आ सकते हैं।
गर इन सब को तुम ना जानो ,
तो गलत तो ना तुम बोलो।
घृणा बहुत है धरती पे ,
अब प्रेम नेत्र तुम खोलो।
हम सब हैं एक से ,
सब कर्म की कतार में खड़े।
अज्ञानी हैं हम सभी अभी ,
तो ना पूछो की कौन बड़े।
जो मन पे नियंत्रण पाएगा ,
वेदान्त ज्ञान को पाएगा।
जो माया के वश में रह जाएगा ,
वो फिर मनुष्य कहलाएगा।
धन्यवाद्। आपका दिन मंगलमय हो।
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