कभी मजबूरी तो कभी ज़रुरत। हम में से बहुत से लोगों को घर छोड़ के बहार रहना पड़ा। कुछ पंक्तियाँ हैं उसी अनुभव के बारे में - घर से निकलते ही
जब छोटे थे तो,हम सब बड़ा बनना चाहते थे। अब जब बड़े हो गए हैं तो लगता है असली आज़ादी बचपन में ही थी। अब यही पूछता हूँ ख़ुद से की - मुझे बड़ा क्यों होना था?
एक छोटी सी कहानी middle class वालों की। अगर किसी को सच लगे तो भी बताना और अगर किसी को बुरा लगे... सच तो सच ही है न भाई , बुरा मान के क्या कर लोगे! ;-) :P
माँ और बच्चे के प्रेम पे हिंदी कविता। एक छोटा बच्चा किस तरह से अपनी और अपनी माँ की कहानी बयान करता है।