A hindi poetry about energy. What is energy? It will explain you deeply.
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ये हवा भी मैं हूँ…
हवा में मैं हूँ…
रग रग में मैं हूँ…
कण कण में मैं हूँ…

आकाश मैं हूँ…
पाताल मैं हूँ…
मैं ही प्रष्न…
उत्तर भी मैं हूँ…

दुःख भी मैं…
आंसू भी हूँ…
सुख भी मैं..
हसी भी हूँ…

ये तन भी मैं हूँ…
और मन भी मैं हूँ…
काली रात मैं…
और दिन भी मैं हूँ…

अमृत भी मैं हूँ…
और विष भी मैं हूँ…
सूखा भी मैं…
बारिश भी मैं हूँ…

जल भी मैं हूँ…
प्यासा भी मैं हूँ…
हर जीत मैं…
निराशा भी मैं हूँ…

मैं कृष्ण हूँ…
सुदामा भी हूँ…
भूख मैं…
भोजन भी हूँ…

रावण भी मैं…
और राम हूँ…
हर युग के अंत का
पाठ हूँ…

हर युग भी मैं…
हर युग में मैं…
मैं अणु हूँ…
ब्रह्माण्ड भी…

विज्ञानं मैं…
विश्वास भी…
प्रयास हूँ…
परिणाम भी…

जीवन भी मैं…
और मृत्यु भी…
सहचर भी मैं…
और शत्रु भी…

मैं आग हूँ…
मैं राख़ भी…
मैं धूल हूँ…
और पाक भी…

मानो तो मैं , तुम में हूँ…
न मानो तो मैं हूँ नहीं…
मैं कुछ नहीं… तुम कुछ नहीं…
संसार ये है कुछ नहीं…
बस मैं हूँ इस ब्रह्माण्ड मैं…
मैं नहीं तो कुछ नहीं…

मैं ऊर्जा हूँ…
चारों तरफ…
बैठे हो तुम…
या चल रहे…

बदलती हूँ मैं…
रूप अपना…
आज आग हूँ…
कल नीर मैं…

मैं ऊर्जा हूँ…
न थम सकूँ…
ऐसेही जन्मा…
ब्रह्माण्ड है!

– वेदांत खंडेलवाल
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7 Responses
क्या बात है, बहुत ही सुन्दर ढंग से पेश किया गया है।।
आज पता चला कि हम सब जगह होते हुए भी कहीं नहीं है।
हम है तो सब है, और सब है तो हम है।
काबिल-ए-तारीफ,,,
भगवान तुम्हारी सारी मनोकामनाएं पूरी करे।।
🙏🏻🙏🏻😊
Ati sundar , Saral , Shant Kavita
Beautifully depicting the truth of life which is inside all of us
😊🙏🏻
Very Nice Poem. I am very Proud
😊🙏🏻
Good work vedant sir