कृष्ण की कहानी

मेरे जीवन में श्रीमद भगवद गीता का बहुत बड़ा प्रभाव है। जो बातें और तथ्य गीता में हैं, वह अगर कोई समझ ले और अपने जीवन में बदलाव ले आए, तो ये सफर बहुत आसान हो जाता है।
यह कोई धार्मिक किताब नहीं है, बल्कि जीवन और मृत्यु और जीवन – मृत्यु के बीच होने वाली हर चीज़ को आसान बनाने का रहस्य है। यह एक मार्गदर्शक है। अगर कभी समय मिले, तो सही स्रोत से पढ़ना। मुझे यकीन है कि आप बड़े बदलाव देखेंगे।

मैंने इन विष्णु जी के अवतार के लिए कुछ लिखने की सोचा, जिन्होंने हमें ऐसी अद्भुत रचना भेंट की।

अजन्मा हो के जो जन्मे,
कारागृह को खोला क्षण में,
जमुना संग शेषनाग भी आए,
बाल कृष्ण को घर पहुंचाए।

काले बादल जैसे रंग था जिनका,
मनमोहक मुस्कान,
अवतरित हुए धरती पे,
अच्युत दयानिधान।

छोटे से बालक थे वो जब,
रास लीलाएं कई रची थी तब,
गोवर्धन का मान बढ़ाना,
कालिया को पाठ पढ़ाना,
यशोदा मईय्या को ब्रह्माण्ड दिखाना,
फिर व्रज छोड़, मथुरा को जाना।

सिर्फ 11 वर्ष के बालक थे जब,
चले थे मथुरा की और नंदलाला,
कंस-वध कर कितनो को बचाया,
मात-पिता को कारागृह से निकाला।

नरकासुर से जान बचा कर,
कन्याएं जो थी 16 हज़ार।
समाज के चलते, मान बढ़ाया,
उनका किया जीवन उद्धार।

द्वारकाधीश बन राज्य संभाला,
मथुरा को जरासंध से बचाया,
धर्म-कर्म का पाठ पढ़ा के,
अच्छाई को बुराई से जिता के,
पांडवो का दे के साथ,
गीत-ज्ञान दे गए श्रीनाथ।

सत्य, सय्यम, दान और ध्यान,
पालन करे जो, वो बने महान,
युगों-युगों तक यही रहेंगे मान्य,
जो कह गए हज़ारो वर्ष पूर्व भगवान।

– वेदांत खंडेलवाल

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